तृणमूल कांग्रेस के 66-वर्षीय नेता कल्याण बनर्जी विगत पंद्रह वर्षों से लोकसभा सदस्य हैं। मगर इतनी चर्चा में कभी नहीं आए जितनी परसों (18 दिसंबर 2023) संसद के बरामदे पर उनकी जोकरी से। मसखरेपन से। उन्होंने 72-वर्षीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की। नकल उतार कर। बरामदे में जमा निष्कासित सांसदों की वाहवाही भी खूब लूटी। मनोरंजन किया सो अलग। राहुल गांधी अपने मोबाइल से पूरी फिल्म उतार रहे थे।
इस घटना का पहला परिणाम यह हुआ कि उनका नाम उनकी पार्टी नेता ममता बनर्जी ने प्रतिनिधिमंडल की सूची से काट दिया। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली थीं। कल्याण बनर्जी के बिना। ममता बनर्जी ने कहा भी कि राहुल गांधी की फिल्म उतराने से ही सारी बात फैली।
कल्याण बनर्जी यूं पेशे से वकील हैं। हाई कोर्ट जाते हैं। वे वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को “काली नागिन” कह चुके हैं। बोले : “उनके काटने से लोग मर रहे हैं।”
कल्याण बनर्जी राम और सीता पर भी राय व्यक्त कर चुके हैं। अपने सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा था : “सीता ने भगवान राम से कहा कि यह सौभाग्य था कि उन्हें रावण द्वारा त्याग दिया गया। अगर मुझे आपके अनुयायियों द्वारा अपहरण कर लिया गया होता, जो अपने माथे पर भगवा लपेटते हैं और जय श्री राम के नारे लगाते हैं, तो मेरी हालत हाथरस पीड़िता की तरह होती।” हाथरस में 20 सितंबर 2020 में एक 19-वर्षीय दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। मगर न्यायालय से सभी छूट गए थे। केवल एक को हत्या का दोषी पाया गया था।
कल्याण बनर्जी ने एक बार कोलकाता में आरबीआई क्षेत्रीय मुख्यालय के सामने विरोध सभा के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चूहा’ कह डाला था। कल्याण ने कहा था : “मोदी के समर्थक उन्हें शेर कहते हैं। लेकिन मैं कहता हूं कि वह समय दूर नहीं है जब मोदी को गुजरात में अपने घर लौटना होगा।”
पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता दिलीप घोष से कल्याण बनर्जी की तकरार चलती रहती है। एक बार कल्याण बोले : “हम दिलीप घोष से नहीं डरते। वह भाजपा नेताओं को बताएं कि हम चूड़ियां पहनकर घर पर नहीं बैठे हैं, हम मजबूत हैं और हम मैदान में मिलेंगे। यदि आप शारीरिक रूप से लड़ना चाहते हैं, तो हम पीछे नहीं हटेंगे। आप जो गंदी राजनीति कर रहे हैं, हम उसका उचित जवाब देंगे। मैं दिलीप घोष को चुप करा दूंगा और मैं देखना चाहता हूं कि वह कितने बहादुर हैं। दिलीप घोष जैसे व्यक्ति को, जिन्हें 18 सुरक्षा गार्ड की जरूरत है, उन्हें पुरुषों के कपड़े नहीं पहनने चाहिए, उन्हें साड़ी पहननी चाहिए। यहां तक कि साड़ी पहनने वाले लोग भी उनसे ज्यादा मजबूत हैं।” ऐसी थी इस सांसद की भाषा शैली !
मगर कल विवाद को व्यापक होते देखकर कल्याण बनर्जी ने तेवर ढीले किए। कोलकता में वे बोले : “मेरा इरादा किसी को भी ठेस पहुंचाने का नहीं था। मैं लोकसभा का सदस्य हूं और मैंने कभी राज्यसभा की कार्यवाही या राज्यसभा टीवी नहीं देखा। मैं धनखड़ जी की नकल कैसे कर सकता हूं ? मैं हैरान हूं। उन्होंने इसे व्यक्तिगत रूप से ले लिया। क्या इसका मतलब यह है कि वह इस तरह का व्यवहार करते हैं ? यह एक कला है, उन्हें इसे खेल के तौर पर लेना चाहिए।”
दरअसल कल्याण बनर्जी को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की नकल करने पर गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। वे अपनी पार्टी और बंगाल भर में एक विचित्र घटना के लिए याद रखे जाते हैं। बात 2021 के विधानसभा चुनाव की है। पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। सांसद साहब ने एक महिला के गाल सबके सामने खींच दिए। मगर बाद में माफी मांग ली।
कल्याण बनर्जी की फूहड़ हरकत से राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने अत्यंत दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के व्यवहार पर निराशा जतायी, क्रोध भी। फिलहाल पुलिस पूरे प्रकरण की तहकीकात कर रही है।
हालांकि 143 सांसदों के सदन से निष्कासन पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार लोकतंत्र का गला घोट रही है। मगर जो भी जनाक्रोश इस घटना से उपजा वह कल्याण बनर्जी की इस मसखरीभरी हरकत से काफूर हो गया। मुद्दा अब यह बन गया कि क्या ऐसी अश्लीलता क्षम्य है ? वह भी एक वरिष्ठ सांसद-वकील द्वारा ?