डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ से सोमवार को दुनियाभर के शेयर बाजार एकदम से अपने निचले स्तर पर आ गया . नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी सवा तीन फ़ीसदी गिर गया, जबकि सेंसेक्स तकरीबन 3 फ़ीसदी तक गिर गया. शेयर बाज़ार ने ऐसा रंग दिखाया कि हर तरफ़ लाल रंग ही दिखाई दिया. बाज़ार में इस गिरावट की बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दुनियाभर में कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाना है. जो देश अमेरिकी सामान के इंपोर्ट पर ड्यूटी लगाते हैं, ट्रंप ने उनके ख़िलाफ़ टैरिफ़ लगाने का एलान किया है.
इसके बाद चीन समेत कई देशों ने अमेरिका के ख़िलाफ़ नए टैरिफ़ लगाने की घोषणा कर दी. नतीजा ये हुआ है कि ये टैरिफ़ वॉर की शक्ल लेता जा रहा है. शेयर बाज़ारों में डर का माहौल इसलिए है कि निवेशकों को आशंका है कि टैरिफ़ वॉर के नतीजे गंभीर हो सकते हैं . राष्ट्रपति ट्रंप के ये कदम अमेरिका की आर्थिक ग्रोथ के लिए नकारात्मक हो सकते हैं, यहाँ तक कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की गिरफ़्त में आ सकती है. इसके अलावा पूरे दुनिया का मंदी में आने का आशंका बढ़ गया है .
भारतीय बाज़ारों पर तो सोमवार को शेयर बाज़ार खुलने के साथ ही धड़ाधड़ शेयरों की बिकवाली होने लगी. बिकवाली का सबसे ज़्यादा असर आईटी कंपनियों पर देखा गया, मेटल स्टॉक्स और फाइनेंशियल स्टॉक्स को भी बिकवाली की मार झेलनी पड़ी. बाज़ार की उतार चढ़ाव को मापने वाला इंडेक्स इंडिया वीआईएक्स और ज़्यादा डराने लगा.
दरअसल, शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव को मापने का इंडेक्स है इंडिया वीआईएक्स. ये भारतीय शेयर बाज़ार की अगले 30 दिनों की अस्थिरता का अनुमान लगाने वाला एक इंडिकेटर है. ये इंडिकेटर निफ़्टी 50 ऑप्शंस की बिड-आस्क कीमतों के आधार पर कैलकुलेट करता है. अगर इंडिया वीआईएक्स ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि बाज़ार में डर और अनिश्चितता अधिक है और यदि वीआईएक्स कम है, तो इसका मतलब बाज़ार स्थिर है.
भारतीय बाज़ार जब खुले तो दुनियाभर से जो संकेत मिल रहे थे, उनसे साफ हो गया था कि सोमवार को बाज़ार में भारी गिरावट आएगी. सिर्फ़ भारतीय मार्केट का ही हाल ऐसा नहीं था बल्कि सोमवार को यूरोप और एशिया के बाज़ारों में भी गिरावट हावी रही. निवेशकों में घबराहट देखी गई और उन्होंने धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने शुरू कर दिए. शेयरों की बड़े पैमाने पर इस बिक्री को ही बिकवाली कहा जाता है. चाहे वो शंघाई हो, टोक्यो हो या हांगकांग. सब जगह मार्केट इस तरह गिरा जैसा लंबे समय में नहीं देखा गया था. वहीं दुनिया के अन्य बाज़ार में भी ऐसा ही माहौल है.
ट्रंप ने देशों को टैरिफ़ से राहत देने के कोई संकेत नहीं दिए हैं. ट्रंप ने सोमवार को टैरिफ़ को ‘दवाई’ करार देते हुए कहा था कि वो दुनिया के स्टॉक बाज़ार में घाटे को लेकर चिंतित नहीं हैं. ताइवान में सोमवार को ट्रेड के दौरान मार्केट क़रीब 10 प्रतिशत तक गिर गया जबकि जापान में निक्केई सात प्रतिशत तक गिर गया. वहीं, शुक्रवार को अमेरिकी बाज़ार का सूचकांक एसएंडपी 500 तकरीबन 6 प्रतिशत तक गिर गया था. ग्लोबल मार्केट में गिरावट का असर घरेलू बाज़ार में भी दिख रहा है.
नवंबर के बाद भारतीय बाज़ारों में जमकर बिकवाली करने वाले विदेशी पोर्टफ़ोलियो निवेशकों (एफ़पीआई) ने पिछले महीने ही अपनी रणनीति बदली थी और भारतीय शेयर बाज़ारों में ख़रीदारी करना शुरू किया था. ट्रंप की घोषणा ने उन्हें भी अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है. जानकारों का कहना है कि विदेशी निवेशकों की ये बिकवाली और तेज़ी पकड़ सकती है अगर भारत अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ टैरिफ़ पर जल्द किसी समझौते पर नहीं पहुंच जाता.
भारत की आईटी कंपनियों का प्रदर्शन पिछले कुछ समय से अच्छा नहीं रहा है जब से ट्रंप ने सत्ता संभाली है, भारत की आईटी कंपनियों के लिए लगातार बुरी ख़बरें आ रही हैं. जानकारों ने आशंका जताई है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी कंपनियों के खराब नतीजों का दौर जारी रह सकता है. इसके अलावा ब्याज दरों के मोर्चे पर भी निवेशकों में चिंता है. 9 अप्रैल को भारतीय रिज़र्व बैंक की क्रेडिट पॉलिसी समीक्षा है और इस बैठक में ब्याज दरों में कुछ कटौती की घोषणा हो सकती है.