अमीरों के बच्चों को आरक्षण का लाभ क्यों ?

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई की है

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि जिस तरह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अमीर लोगों को क्रीमी लेयर के सिद्धांत के तहत आरक्षण के लाभ से वंचित रखा जाता है, उसी तरह एससी-एसटी के अमीरों को पदोन्नति में आरक्षण के लाभ से क्यों वंचित नहीं किया जा सकता?

पीठ ने कहा, शुरुआती स्तर पर आरक्षण में कोई दिक्कत नहीं है| मान लीजिए, यदि कोई व्यक्ति आरक्षण का लाभ उठाकर राज्य का मुख्य सचिव बन जाता है तो क्या यह जायज़ होगा कि उसके परिवार के सदस्यों को भी पिछड़ा मानकर पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया जाए|

गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल भी किया कि मान लिया जाए कि एक जाति 50 सालों से पिछड़ी है और उसमें एक वर्ग क्रीमीलेयर में आ चुका है, तो ऐसी स्थितियों में क्या किया जाना चाहिए?

कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आरक्षण का पूरा सिद्धांत उन लोगों की मदद देने के लिए है, जोकि सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और सक्षम नहीं हैं| ऐसे में इस पहलू पर विचार करना बेहद ज़रूरी है|

इससे पहले, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है| केंद्र सरकार की तरफ़ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से झेल रहा है| उन्होंने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फ़ैसले की समीक्षा की ज़रूरत है|

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Name *