ये दुनिया की पहली हज़ार अरब (एक ट्रिलियन) डॉलर की सार्वजनिक कंपनी बन गई है.
लेकिन एप्पल ने ये सब किया कैसे?
यहाँ पाँच ऐसी चीज़ों पर हम नज़र डालेंगे जिनकी मदद से एप्पल ने ये बड़ी सफलता हासिल की.
स्टीव जॉब्स – अपने आप में एक ब्रांड
स्टीव जॉब्स की पहचान न सिर्फ़ एप्पल के सह-संस्थापक के रूप में है, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी की दुनिया का सबसे बड़ा नाम भी माना जाता है.
उन्होंने एप्पल को तकनीक की दुनिया की उस क्रांति का हिस्सा बनाया, जिसका लक्ष्य आम लोगों के हाथ में तकनीक पहुँचाना था. फिर बात चाहें आई-पॉड की हो या आई-पैड की.
लेकिन आधुनिक दुनिया के पहले औपचारिक सीईओ (कंपनी के मुख्य अधिकारी) में से एक के तौर पर पहचान मिलने के बाद, वो ख़ुद ही एक ब्रांड बन गये.
स्टीव जॉब्स ने स्टीव वॉज़निएक के साथ मिलकर साल 1976 में एप्पल कंपनी की स्थापना की थी. तब से कैलिफ़ॉर्निया स्थित इस कंपनी को ‘महान चीज़ें तैयार करने वाली’ एक कंपनी के तौर पर देखा गया.साल 1980 में एप्पल के शेयर की डिमांड बहुत ज़्यादा बढ़ गयी. कहा जाने लगा कि साल 1956 में फ़ोर्ड कंपनी के शेयर की ऐसी डिमांड थी. उसके बाद सिर्फ़ एप्पल कंपनी के शेयर की उतनी डिमांड हुई.लेकिन साल 1985 में कंपनी के चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव जॉन स्कली से उनका विवाद हो गया और इस विवाद के कारण उन्हें कंपनी छोड़नी पड़ी.
हालांकि 12 साल बाद, यानी साल 1997 में नुक़सान में चल रही एप्पल कंपनी ने स्टीव जॉब्स को वापस लौटने का प्रस्ताव दिया.
उन्होंने कंपनी में लौटते ही विभिन्न परियोजनाओं को रद्द कर दिया और एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसका नाम था ‘थिंक डिफ़्रेंट’ यानी ‘कुछ नया सोचिए’.