‘अमेरिका संपन्न है, इसलिए यहां की सड़कें अच्छी नहीं हैं बल्कि यहां की सड़कें अच्छी हैं, इसलिए अमेरिका संपन्न है।’ यह वाक्य केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आदर्श है। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की यह मशहूर उक्ति नई दिल्ली स्थित परिवहन भवन के आगुंतक कक्ष में टंगी है। गडकरी मानते हैं कि सड़क किसी भी देश-राज्य के विकास और प्रगति का प्रतीक होता है। गडकरी कहते हैं कि मई 2014 में जब उन्होंने पदभार संभाला था, तब हर रोज दो किलोमीटर सड़क बन पा रही थी। करीब 403 सड़क परियोजनाएं फंड के अभाव में ठप पड़ी थीं। उन्होंने 122 कैबिनेट निर्णय कराकर तमाम परियोजनाओं पर काम शुरू कराया और बीते 31 मार्च तक हर रोज सड़क निर्माण की गति बढ़कर 28 किलोमीटर हो चुकी है। अगले साल मार्च तक हर रोज 40 किलोमीटर सड़क निर्माण का उन्होंने लक्ष्य तय किया है। पेश है उनसे प्रेमांशु शेखर की बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल पदभार संभालते ही आपने कहा था कि पैसे की कमी नहीं होने दूंगा और सचमुच ऐसा ही हुआ। आखिर यह जादू हुआ कैसे ?
जवाब देखिए, देश में न पैसे की कमी है और न तकनीक की। पिछली सरकार में कमी अगर रही तो मजबूत राजनैतिक इच्छा शक्ति की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मजबूत राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखाई। केंद्रीय वित्तमंत्री का पूरा सहयोग मिला। यही कारण है कि अब तक मैं दस लाख करोड़ के टेंडर जारी कर चुका हूं और खास बात यह है कि एक भी टेंडर पर कोई ऊंगली नहीं उठी।
सवाल सड़क निर्माण में जमीन अधिग्रहण एक बड़ी समस्या होती है, आपने इसका समाधान कैसे किया ?
जवाब राज्य सरकारों के साथ निरंतर संपर्क के जरिए इस समस्या का समाधान ढूंढा गया। इसी साल हमने जमीन अधिग्रहण पर 60 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। पहले 96,000 किलोमीटर राजमार्ग था, जो अब बढ़कर दो लाख किलोमीटर हो चुका है। पिछले चार साल में हमने 51073 किलोमीटर राजमार्ग निर्माण का ठेका दिया है जिसमें 28531 किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण हो चुका है। सड़कों का जाल बिछाने पर हमने जम्मू-कश्मीर में 60 करोड़ और उत्तर-पूर्व में डेढ़ लाख करोड़ रुपए निवेश किया है।
सवाल जम्मू-कश्मीर में एशिया के सबसे बड़े टनल और अरुणाचल प्रदेश में सबसे बड़े पुल के निर्माण पर आप क्या कहेंगे?
जवाब अरुणाचल प्रदेश में ढोला-सदिया (भूपेन हजारिका) पुल 9.15 किलोमीटर लंबा है और इसके निर्माण पर 2056 करोड़ रुपए खर्च किए गए है। खास बात यह है कि इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में बनाया गया है। इस पुल के शुरू होने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा के समय में छह घंटे की कमी हुई है। इस पुल से 60 टन के युद्धक टैंक भी गुजर सकेंगे। उधर जम्मू-कश्मीर में चेनानी-नाशरी टनल 2517 करोड़ की लागत से बना है। इससे जम्मू से श्रीनगर का सफर ढाई घंटे कम हो गया है। और इससे साल के 365 दिन आवाजाही हो सकेगी।
सवाल आपका सीमा और तटीय इलाकों में राजमार्ग के निर्माण पर खासा जोर है ?
जवाब यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। भारतमाला के तहत सीमा पर 33,00 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इसका सामरिक महत्व भी है। इसी तरह नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ सड़क जुड़ाव के लिए दो हजार किलोमीटर सड़क बनाई जाएगी। इसके पहले चरण पर 25,000 करोड़ खर्च का अनुमान है। जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्य पहले से ही सरकार की प्राथमिकता में हैं।
सवाल सड़कों पर निजी वाहन की संख्या कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है ?
जवाब सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए केंद्र राज्य सरकारों को आर्थिक मदद मुहैया करा रही है। इसके तहत 17 राज्यों में 23 प्रोजेक्ट को अब तक मंजूरी मिल चुकी है। इसमें वाहनों को जीपीएस/जीएसएम से लैस करना और इलेक्ट्रोनिक टिकट मशीन उपलब्ध कराना शामिल है।
सवाल पर्यावरण की समस्या के मद्देनजर साफ व स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल की क्या स्थिति है ?
जवाब पहली अप्रैल से दिल्ली में बीएस-श्क मानक के ईंधन की बिक्री शुरू हो गई है। अगले साल तक पूरे एनसीआर में बीएस-IV मानक के ईंधन की बिक्री शुरू हो जाएगी। एक अप्रैल 2020 से बाजार में केवल बीएस-IV मानक वाहन ही बिक सकेंगे। बीएस-IV मानक यूरोपीय देशों की तर्ज का है। पेरिस जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर लगाम कसने के वादे के तहत ये प्रयास किए जा रहे हैं। ये मानक दुनिया भर में ऑटोमोबाइल कंपनियां इस्तेमाल करती हैं। इससे पता चलता है कि कोई वाहन वातावरण को कितना प्रदूषित करता है। बीएस-IV वाहनों में एडवांस इमीशन कंट्रोल सिस्टम फिट होगा। जाहिर है कि बीएस-IV ईंधन का पूरा फायदा बीएस-IV मानक वाले वाहनों के अप्रैल 2020 में बाजार में आने पर ही होगा।
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“देश में न पैसे की कमी है और न तकनीक की। पिछली सरकार में कमी अगर रही तो मजबूत राजनैतिक इच्छा शक्ति की।”
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सवाल इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। क्या कहेंगे ?
जवाब इसमें कोई भ्रम नहीं है। इलेक्ट्रिक वाहनों के स्टैंडर्ड्स पहले ही तय कर दिए गए हैं। सरकार अब चाजिंर्ग स्टेशन के स्टैंडर्ड फाइनल कर रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दूसरी गाडि़यों से कम है और राज्य सरकारें भी इसके लिए इंसेंटिव दे रही हैं। इसका इको सिस्टम तैयार हो रहा है और जल्द ही डिमांड भी बढ़ने लगेगी।
सवाल कोई ऐसा काम जिसके नहीं हो पाने का अफसोस हो ?
जवाब देश में हर साल पांच लाख सड़क दुर्घटाएं होती हैं जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है। इससे संबंधित मोटर वाहन (संशोधन) बिल-2017 डेढ़ साल से राज्यसभा में लंबित है। वैसे हमने देशभर में सड़क दुर्घटनाओं के 789 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए है जिनमें 139 राज्य की सड़कों पर हैं। अभी तक 189 ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त कर दिया गया है और 256 जगहों पर काम जारी है। इसके साथ ही मेरे मंत्रालय ने देश के हर जिले में ड्राईिवंग लाइसेंस ट्रेनिंग सेंटर के लिए एक करोड़ तक की वित्तीय सहायता की स्कीम शुरू की है। देश भर में जल्दी ही 19 ऑटोमेटिक वाहन चेकिंग सेंटर होंगे। इसमें छह शुरू हो गए हैं और तीन जल्दी शुरू होने वाला है।
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“भारतमाला के तहत सीमा पर 33,00 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इसका सामरिक महत्व भी है। जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्य पहले से ही सरकार की प्राथमिकता में हैं।”
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भारतमाला के तहत सीमा पर 33,00 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इसका सामरिक महत्व भी है। जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्य पहले से ही सरकार की प्राथमिकता में हैं। सड़कों का जाल बिछाने पर हमने जम्मू-कश्मीर में 60 करोड़ और उत्तर-पूर्व में डेढ़ लाख करोड़ निवेश किया है।
इलेक्ट्रिक वाहनों के स्टैंडर्ड पहले ही तय कर दिए गए हैं। सरकार अब चाजिंर्ग स्टेशन के स्टैंडर्ड फाइनल कर रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दूसरी गाडि़यों से कम है और राज्य सरकारें भी इसके लिए इंसेंटिव दे रही हैं। इसका इको सिस्टम तैयार हो रहा है और जल्द ही डिमांड भी बढ़ने लगेगी।