साइकिल पैरों के गति का विस्तार है। जहाज कदमों के अधिकतम तीव्र गति का विस्तार है।एक दौर वह भी था ,जब देश विलंबित गति से चल रहा था। अब एक ऐसे दौर में भी देश पहुंच गया है , जहां राजमार्गों का संजाल बिछा हुआ है। विलंबित गतिसे चल रहे देश के पैरों को तीव्र गति देने में नितिन गडकरी की महती भूमिका रही है। ‘ राजमार्गों के शिल्पी ‘ नितिन गडकरी की आंखों में अब विशालसंभावनाओं वाली सदानीरा नदियां रच बस रही हैं। इन नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित कर समूचे देश में बड़े पैमाने पर विकास के काम चल रहे हैं। इसीकड़ी में सोमवार को वाराणसी में जल मार्ग से कंटेनर कार्गो की व्यावसायिक चहल कदमी दिखी। प्राचीन देश ने वह स्वर्णिम दौर भी देखा है , जब उसकेउत्पाद इन्हीं नदियों के जरिए समूची दुनिया मे पहुँचे। फिर देश उसी दिशा की ओर जा रहा है, जिस दिशा में चल कर उसने अतीत में स्वर्णिम बुलंदियों कोहासिल किया था।
ग़ौरतलब है कि गंगा पर 5370 करोड़ की लागत से जलमार्ग बनाने का काम किया जा रहा है। गंगा में हो रहा यह काम अब दिखने लगा है। वाराणसी इसकासटीक उदाहरणहै।200 करोड की लागत से 2016 में काम शुरू हुआ। इसी जेटृी पर सोमवार को कंटेनर कार्गों का आगमन हुआ है। यहाँ से 13 लाख टन सामानकी हर साल ढुलाई हो सकेगी।
विश्व का व्यापार कंटेनर से हो रहा है। दुनिया के इस व्यवसायिक पद्धति से वाराणसी भी जुड़ गया है। यहां से कंटेनर से सामान की आवाजाही शुरू हो गयी है।इस सुविधा से वाराणसी कारोबारी हू बन जाएगा। पंजाब से बन रहा रेल कॉरीडोर वाराणसी के गंगा टर्मिनल से जुड़ेग।वाराणसी के तर्ज पर साहिबगंज, हल्दिया, गाजीपुर, कालूघाट में भी टर्मिनल का निर्माण शुरू हो चुका है। भविष्य मे गंगा जलमार्ग से नेपाल के लिए भी कार्गोंचलने की संभावना है। कई जगह जहां पुल नहीं है, वहां जहाज से नदी पार कराने की सुविधा विकसित की जा रही है। पर्यटकों के लिए 5 स्टार एवं 7 स्टार क्रूजसर्विस चलेगी। शहर की बस सर्विस की तरह गंगा में फेरी सर्विस चलेगी। कुंभ में आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए जलमार्ग सुविधा उपलब्ध कराने पर ज़ोर है।इसमें वाराणसी से इलाहाबाद के बीच स्पीड बोट चलाएं जाएंगे।इसके अलावा इलाहाबाद में कुंभ के दौरान गंगा के दोनों तरफ तीर्थ यात्रियों की आवाजाही कोसुगम बनाने के लिए यात्री जहाजो की आवाजाही होगी। इसके लिए 10 फ्लोटिंग जेटृी लगाई जा रही है।
घाघरा और गंडक नदी में भी जलमार्ग विकसित किया जा रहा है। जलमार्ग से उ.प्र. में औधौगिक विकास के नए द्वार खुलेंगे। इससे स्थानीय स्तर पररोजगार के अवसर भी बढेंगे।गंगा से राष्ट्रीय जलमार्ग का जो विकास हो रहा है, उससे पूर्वोत्तर का भी भाग्योदय होगा।इसी क्रम मे बांग्लादेश की नदियों में ड्रेजिंग करी जी रही है, इससे वाराणसी से जहाज चलकर सीधे ब्रम्हपुत्र नदी में पहुंचेगा।ग़ौरतलब है कि भारतीय इतिहास में जलमार्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पहले जल परिवहन ही प्रमुख साधन था। सम्राट अशोक के प्रस्तर स्तंभपाकिस्तान से लेकर अफ़ग़ानिस्तान तक जल मार्ग के ज़रिए ही गए थे। जलमार्ग से ही भारतीय सामग्री का आयात दुनियाभर में होता था। विकसित देशों मेंजलमार्ग महत्पूर्ण साधन है। इसी से अधिकांश व्यावसायिक कार्य चलते हैं और यह रोजगार का बहुत बड़ा साधन भी है।जिस तरह कम्प्यूटर साफ्टवेयरएक्सपोर्ट होता है डेटा कनेक्शन के जरिए, उसी तरह हस्तशिल्प, कार्पेट, फर्टीलाइजर, अनाज ले जाने के लिए कम खर्च का ट्रांसपोर्ट सुविधा मिलेगी। गंगा काजलमार्ग उ.प्र. के उत्पाद को दुनियाभर में पहुंचाएगा।