अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को एक पत्र और लिखा। पत्र में अनिल अंबानी ने राफेल को लेकर राहुल गांधी का जानकारी को गलत बताया। पिछले हफ्ते भी अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को एक पत्र लिखा था। इस बार अनिल ने अपने पत्र में लिखा कि, “राफेल डील को लेकर आपकी पार्टी की जानकारी पूरी तरह गलत है। व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता के चलते आपकी पार्टी को गुमराह किया जा रहा है।” अंबानी इससे पहले दिसंबर में भी राहुल को इस संबंध में पत्र लिख चुके हैं।
अनिल अंबानी की कंपनी नें नही बनेगा राफेल का एक भी पुर्जा : कंपनी के मुताबिक, उन्होंने पिछले हफ्ते एक पत्र फिर लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि राफेल विमानों का निर्माण फ्रांस में होगा। इनमें एक रुपए का पुर्जा भी उनकी कंपनी में नहीं बनाया जाएगा। रिलायंस को इस डील से जो हजारों करोड़ रुपए के फायदे की बात की जा रही है वह कोरी कल्पना मात्र है। कंपनी का भारत सरकार के साथ कोई अनुबंध नहीं है।
एडीएजी समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने कहाकि इस सौदे से उनकी कंपनी को हजारों करोड़ के फायदे की बात पूरी तरह से काल्पनिक है। अंबानी ने अपने पत्र में सिलसिलेवार तरीके से राहुल गांधी की तरफ से लगाए जा रहे एक एक आरोप का जवाब दिया है।
अनिल ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने जो 36 राफेल युद्धक विमान खरीदने का फैसला किया है वे पूरी तरह फ्रांस में ही बनेंगे। उनका निर्माण रिलायंस और फ्रांस की कंपनी दासो मिलकर नहीं कर रही है। इसलिए उनकी कंपनी पर अनुभवहीन होने का जो आरोप हैं वह बेबुनियाद है। अनिल ने पिछले पत्र में ये भी लिखा कि रिलायंस की किसी कंपनी को उक्त 36 विमानों सें संबंधित किसी प्रकार के निर्मण का ठेका नहीं दिया गया है। ऐसे में उनकी कंपनी पर जो हजारों करोड़ का ठेका हासिल करने का जो आरोप है वह गलत है।
एडीएजी समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने ये साफ किया कि उनकी कंपनी की भूमिका सिर्फ आफसेट निर्यातक की है। इसका मतलब यह हुआ कि अंबानी की कंपनी राफेल के लिए कुछ उपकरण बनाकर निर्यात करेगी। जबकि विमान फ्रांस में ही तैयार होगा। अंबानी ने लिखा है कि इस प्रक्रिया में कम से कम 100 छोटी और मझोली कंपनियां शामिल हो रही है। जिनमें निजी और सरकारी कंपनियां भी है। सरकारी कंपनियों में बीईएल और डीआरडीओ भी शामिल है। यह देश में मैन्यूफैक्चिरंग क्षमताओं को मजबूत करेगा।
अनिल अंबानी ने अपने पत्र में आगे यह भी लिखा कि आफसेट निर्यात की नीति तो पूर्व की यूपीए सरकार ने ही तैयार की थी। और उसे बढावा दिया था। उन्होने राफेल डील से ठीक दस दिन पहले रिलायंस डिफेंस की स्थापना के आरोप को भी पूरी तरह आधारहीन करार दिया। असलियत में रिलांयस डिफेंस की स्थापना दिसंबर 2014 और जनवरी 2015 में करने का फैसला किया गया था। इस बारे में शेयर बाजार को भी सूचित किया गया था।