त्रेतायुग के बाद पिछले बरस की तरह इस बार भी दीवाली ऐसी रही कि अयोध्या निहाल हो उठी। इतिहास करवट ले रहा था। काल का पहिया घूम गया। पहुंच गया दीवाली के प्रारंभ विंदु पर। काल मानों निचुड़कर एक विंदु पर आ गया। त्रेता और कलियुग की बीच की सहस्राब्दियों की दूरी मानो फिर सिमट गई।त्रेतायुग में इसी अयोध्या ने अपने राम का स्वागत दीयों की रोशनी से की थी। अयोध्या दीवाली की परंपरा का आदि विंदु है। वनवासी राम से राजाराम बनने के ऐतिहासिक दिन को समूची दुनिया में मनाया जाता है लेकिन जिसने शुरू किया, वहीं अयोध्या चुप सी हो गई, उदास हो गई, गुमसुम हो गई। अयोध्या की आबोहवा ने ही राम और राम से पहले भी भारत की संस्कृति को गढ़ा। इसी अयोध्या ने बहुसंख्यकों की संस्कृति को खाद.पानी दे उसे सहस्राब्दियों तक पुष्पित.पल्लवित किया।
रघुवंशी राजाओं की धर्म, अध्यात्मए त्याग, विद्वता, प्रजावत्सलता की कहानियां किताबों में ही नही, लोगों के कंठ में है, स्मृतियो में दर्ज है। यह सच है कि इतिहास खुद को दोहरता है। अयोध्या में यह सच घटित हो रहा था। भले वह प्रतीकों में ही सही। ‘चलत विमान कोलाहल होई..’ समान पुष्पक विमान अयोध्या के आंगन में उतरा तो आसमां से पुष्पवर्षा होने लगी। अयोध्या के रोम.रोम में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का स्पंदन हो रहा था। सत्ता और संत भावुक हो राम का स्वागत कर रहे थे। गुरु वशिष्ट और विश्वामित्र प्रतीकों में ही सही, सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाईक ने राम का टीका लगा राज्याभिषेक की रस्म की। सत्ताए संत और सरयू की त्रिवेणी के बीच ही लोगों का हर्षोन्माद, अतिरेकी भावना जनित छलकती अश्रुबूंदे, तालियों की गडग़ड़ाहट संकेतों में बहुत कुछ भविष्य के गाढ़े गेरुआ रंग के भारत के लिए बया कर रही थी।
त्रेता से कलियुग तक की यात्रा। दोनों में वैसी ही समरूपता है। त्रेतायुग में समूची राजसत्ता श्री राम के चौहद बरस के वनवास के पूरा होने पर पलक पांवड़े बिछाई थी। आज की राजसत्ता भी श्री राम के लिए अयोध्या के आंगन में उतर आई। देश के बहुसंख्यकों की भावना सदियों से इसी क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था। उसकी साध अब पूरी हो गई है। राम ने क्या नहीं दिया। राम की संस्कृति ही बहुसंख्यकों के दिल में धड़कती है। उसके मानस को मथती है, उद्धेलित करती है। श्रीराम दीये की तरह जलते रहे। अंधियारा पीते रहे और रोशनी उगलते रहे। राम का जीवन साधना का जीवन था। तपस्या का जीवन था। वे मूल्यनिर्माता थे। जन.जन में राम वास करते है लेकिन सत्ता ने उन्हें निर्वासित कर दिया था। वनवासित कर दिया था। अपने घर.आंगन में ही वे उदास थे। अयोध्या गुमसुम थी। गुमसुम रहने वालीए मौन धारण करने वाली अयोध्या दीपावली पर फिर दूसरी बार खिलखिला उठी। अयोध्या जगर.मगर कर रही थी। दीयों की रोशनी से सरयू का किनारा नहाया तो पुण्य सलिला भी मानो आनंद की कल.कल घ्वनि करने लगी। उसकी लहरे आनंद का गीत गा रही थी। अयोध्या की दीवाली ने संस्कृति की शिला पर एक बार फिर चटकदार हस्ताक्षर कर दिया। राम की उपेक्षा का जो दर्द थाए राम को लेकर सदियों से लोगों में जो श्सांस्कृतिक. भूख प्यास्य थीए उसको अयोध्या की दीवाली ने कुछ हद तक शांत कर दिया। अस्मिता पर उपेक्षा की धूलि चढ़ा दी गई थीए वह मानो धुल गई, साफ.सुथरी हो गई। राम की संस्कृति यानि कि मर्यादाए त्याग और करुणा की संस्कृति। इन शब्दों से राम और उनकी अयोध्या से नाभिनाल का रिश्ता रहा है।
आहलादित जनता की ओर से जय सियाराम और जय श्रीराम के गगनभेदी नारे सरयू के किनारे गूंज रहे थे। प्रतीकों के सहारे सत्ता बड़े सलीके से यह संकेत देने में कामयाब रही कि हम राम को बिसारने वाले नहीं है। संवैधानिक मर्यादा की सीमाओं से बद्ध रहते हुए श्रीराम के प्रति अनुराग दिखाया लेकिन राममंदिर निर्माण की बात नहीं की। ऐसा लगा कि मानों दीपावली पर अयोध्या से उठी राम की यह वेगवान धारा भविष्य के भारत की नई कहानी ज़रूर लिखेगा। अपने देश को ही नहीं हांफते.कराहते विश्व को श्राम की संस्कृति मे रचने.पगने की जरूरत है। जो राम के राह पर चलेगा। जो राम का अनुगामी होगा। जिसके रोम.रोम में राम की धारा बहेगी, चाहे वह व्यक्ति हो या समाज या कोई देश, वहां शांति की घंटियां गूंजेंगी। कुछ ताकतों ने राम और राम की संस्कृति को हाशिए पर ढकेलने की कोशिश की। राम तो त्रेता युग से कलियुग तक प्रासंगिक बने हुए है लेकिन जिसने भी राम को ढकने की कोशिश कीए वे समय की क्रूर धारा में समाते जा रहे हैंए मिटते जा रहे हैं। अयोध्या की दीवाली ऐतिहासिक रही। दीयों की रोशनी से जगर.मगर करती अयोध्या ने देश में सांस्कृतिक पुनरुत्थान की पटकथा लिख दी।श्रीराम देश की सांस्कृतिक थाती है। उन्होने देश की संस्कृति को गढ़ा हैए उनका व्यक्तित्व प्रेरणा का केंद्र है। भव्य दीपोत्सव के आयोजन ने सांस्कृतिक जागरण की मुनादी की।
दीपोत्सव मे विरासत के गौरव गान पर इठलाती.झूमती रघुवंशियों की राजधानी रही अयोध्या का ऐश्वर्य आकाश की ऊंचाइयों को छूता नजर आया। देश के विविध अंचल की सांस्कृतिक झांकियों ने गौरवशाली विरासत के गान का सिलसिला शुरू किया तो अयोध्या अनेक रंगों से भरी.पूरी नजर आई। हिंदुत्व के चटकदार रंग और उसके प्रतीक समूची अयोध्या मे जहाँ.तहाँ उपस्थित थे लेकिन इसका केंद्र रामकथा पार्क और राम की पैड़ी थी।
दीये की रोशनी से जगमग अयोध्या में जहां दीपोत्सव पर एक नया विश्व रिकार्ड बनाए वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कई सौगातें देकर अयोध्यावासियों के लिए दीपोत्सव को खास बना दिया। सीएम योगी ने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या करने का ऐलान किया। धार्मिक नगरी अयोध्या में जब सरयू किनारे तीन लाख से ज्यादा दीये जले तो सरयू तट समेत पूरा शहर जगमगा उठा। सरयू नदी के तट पर तीन लाख से अधिक दीये जले तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में अयोध्या का नाम दर्ज हो गया।
प्रतीकात्मक रूप से पुष्पक विमान यानि हेलीकॉप्टर से भगवान राम .सीता और लक्ष्मण के स्वरूप हेलीपैड पर उतरे। यहां पर मौजूद कोरिया की फर्स्ट लेडी किमजोंग सुक, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल राम नाईक समेत सभी अतिथियों ने माल्यार्पण कर उनकी अगवानी की। इस दौरान हेलीकॉप्टर से ही निरंतर राम कथा पार्क और आसपास पुष्प वर्षा भी होती रही।हेलीपैड से भगवान के स्वरूपों को बग्घी में बैठा कर खुद मुख्यमंत्री एराज्यपाल एडिप्टी सीएम और प्रदेश मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य साथ में लेकर राम कथा पार्क में बनाए गए विशेष मंच पर पहुंचे। इस मंच पर भगवान के स्वरूपों को विराजमान किया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री समेत अन्य सभी अतिथि राम कथा पार्क में बने मुख्य मंच पर पहुंचे। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केवल नारों में राम को सीमित न रखें। राम ने राम राज्य की स्थापना की जो नींव रखी थीएउस पर इमारत बनाना है।ष् इसी दौरान राम मंदिर निर्माण की माँग भी गूँजने लगी। सीएम ने अयोध्या को लेकर कई घोषणाए की जिससे कुछ देर के लिए लोगो की ष् सांस्कृतिक अस्मिता और पहचान की भूखष् शांत हो गई। उन्होने कहा कि फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या होगा। अयोध्या में नया मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है, जिसका नाम राजर्षि दशरथ पर रखा जाएगा। यहां पर बन रहे एयरपोर्ट का नाम मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के नाम पर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने राम कथा पार्क में बटन दबाकर अयोध्या वासियों को दिवाली को तोहफा प्रदान करते हुए विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ने 24.66 करोड की लागत से क्वीन हो स्मारक,7.5 9 करोड़ की लागत से राम कथा पार्क, आईपीडीएस योजना के तहत 51 करोड की योजनाओं का शिलान्यासए 41 करोड़ राम की पैड़ी के उच्चीकरण के लिए, नगर विकास विभाग की अमृत योजना के लिए 37 करोड़ की योजनाओं तोहफा दिया है। वहीं राजस्व, ग्राम्य विकास तथा पंचायती राज विभाग के तहत 15 पशुशालाध् चारागाह के निर्माण के लिए 3.69 करोड की योजना की सौगात दी।
योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या की संस्कृति को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाने के साथ ही दक्षिणी कोरिया से संबंधों को भी नया आयाम दिलाने का कार्य किया। अयोध्या से दक्षिणी कोरिया का रिश्ता यूं तो सदियों पुराना है। रिश्तो को सहेजने में मोदी और योगी सरकार ने बेहतर सियासी इच्छा शक्ति दिखाया।अयोध्या का कोरिया के प्रति संबंधों का कारण भावनात्मक है। कोरिया के ष्करक राजवंशष् की ष्रानी होष् अयोध्या की राजकुमारी थी। मान्यता के अनुसार दो हज़ार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सूरी रत्ना दक्षिण कोरिया के ग्योंग सांग प्रांत के किमहये शहर गई थी। ऐतिहासिक दस्तावेज ष्शामगुक युसा ष् में कहा गया है कि राजकुमारी सूरी रत्ना के पिता के सपने में ईश्वर आए। ईश्वर ने राजा को निर्देशित किया कि सूरी रत्ना का विवाह राजा किम सूरो से करने के लिए ष् किमहये ष्शहर भेजें। अयोध्या के राजा ने ऐसा ही किया।क्वीन हो यानि सूरी रत्ना को नमन करने के लिए कोरियाई दल डेढ़ दशक से हर वर्ष अयोध्या आता रहता है।
लोकसभा चुनाव में विपक्ष के समीकरण को निष्प्रभावी करने के लिए भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है। इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा फैजाबाद का नाम अयोध्या किए जाने की घोषणा को इस नज़रिए से भी देखा जा सकता है। भाजपा की सरकार बनने के बाद से ष्सांस्कृतिक .विकास ष् पर ज्यादा फ़ोकस है। बहुसंख्यकों की संस्कृति.सभ्यता जो कमोबेश उपेक्षित सी थीए उसको महत्व देकर अधिसंख्य आबादी को साधने की कोशिशें की जा रही है। इसी क्रम में अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा लगाने की तैयारी चल रही है। इसके पहले योगी सरकार ने देवी पाटनए विंध्यवासिनी शक्तिपीठए मथुरा.वृंदावन ए नैमिषरायण आदि तीर्थ क्षेत्रों के विकास को लेकर ज्यादा तवज्जो दी।