महाकुंभ की दिव्य और भव्य तैयारी

प्रज्ञा संस्थानदुनिया का सबसे बड़ा और तकरीबन डेढ़ माह तक चलने वाला धार्मिक समागम की तैयारियां लगभग पूरी हो गई है। तैयारियों में कोई कमी न रहे, इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निरंतर इसकी समीक्षा कर रहे हैं। इस महाकुंभ को वर्ष 2013 में हुए धार्मिक समागम से भी भव्य और दिव्य बनाने की सरकार की योजना है। इस बाबत हर विभाग को व्यापक एवं स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अयोध्या में भव्य कुंभ कलश की स्थापना का विचार इंगित करता है कि इस बार सरकार कुछ बेहद खास करने के मूड में है। वह बेहद अलहदा और अभूतपूर्व होगा।

प्रयागराज के अक्षय वट कॉरिडोर और हनुमान मंदिर कॉरिडोर के निर्माण कार्य वर्ष 2023 से ही आरंभ हो गया था। इसका कार्य भी लगभग पूर्णता पर है। सरकार का पूरा जोर इस बात पर है कि प्रयागराज धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक जश्न का केंद्र बने। सरकार की पुरजोर कोशिश है कि 45 दिनों तक यानी 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला यह महाकुंभ, वर्ष 2012 में हुए महाकुंभ से करीब तीन गुना बड़ा हो। बस पूरा महकमा और सरकार इसे भव्य और दिव्य बनाने में जुटी है। इस बार संगम तट 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। मान्यता है कि महाकुंभ में देव, दानव, यक्ष, किन्नर गंधर्व, सिद्ध संत तीर्थ राज प्रयाग के दर्शन करने और पुण्य सलिला गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं।

मेष मकरगत रवि जब होई।

तीरथ पतिहिं आव सब कोई।

महाकुंभ कितना भव्य और दिव्य होगा, यह इसी बात से जाना जा सकता है कि इस बार महाकुंभ मेला क्षेत्र 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा गया है। संगम तट से 12 किमी की लंबाई के घाट बन रहे हैं। 1850 हेक्टेयर में पार्किंग सुविधा विकसित करने की योजना लगभग मूर्त हो चुकी है। 450 किमी चकर्ड प्लेट लगाए जा रहे हैं। नदी के पार आने-जाने के लिए 30 पीपे के पुल बन रहे हैं। 67 हजार स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही है। मेला क्षेत्र में डेढ़ लाख शौचालय बन रहे हैं। श्रद्धालुओं की आवासीय व्यवस्था के लिए डेढ़ लाख टेंट लगाए जा रहे हैं। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम की रेती पर लगने वाला महाकुंभ इस बार बेहद खास और विविधतापूर्ण होगा।

यह महा आयोजन धर्म, अध्यात्म की पराकाष्ठा के लिए अगर जाना जाएगा तो इसमें साहित्य पिपासुओं की पिपासा और उत्कंठा का भी उतनी ही शिद्दत से प्रशमन होगा। महाकुंभ मेले में आने वाले साहित्य प्रेमी  सुमित्रानंदन पंत, मैथिलीशरण गुप्त से लेकर महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर और अज्ञेय जैसे महान लेखकों और कवियों को उनकी मूल आवाज में सुन और देख सकेंगे। यह व्यवस्था इलाहाबाद संग्रहालय की ओर से की जा रही है। सबसे खास बात यह है कि इसमें कवियों के ऐसे वीडियो भी जनता को देखने को मिलेंगे, जो इन्होंने अपने जीवनकाल में गाए और सुनाए होंगे। इसके लिए फिल्म डिवीजन,  दूरदर्शन और आकाशवाणी का भी इलाहाबाद संग्रहालय को सहयोग लेने की सरकार की योजना है। पर्यटन विभाग देश-विदेश से आने वाले लोगों को घर जैसा माहौल और खानपान उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय लोगों को अपने मकानों का पेइंग गेस्ट के तौर पर उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इस निमित्त बड़ी तादाद में प्रयागराज के लोग पर्यटन विभाग में अपना पंजीकरण करा रहे हैं। अच्छे आचरण, स्वच्छता और आवभगत का प्रशिक्षण ले रहे हैं। ज्यादातर लोगों को इस व्यवस्था से जोड़ने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा टोल फ्री नंबर और व्हाट्सऐप नंबर भी जारी किया गया है। इससे जहां श्रद्धालुओं को महंगे होटलों के अनावश्यक व्यय भर से निजात मिलेगी, वहीं स्थानीय रहवासियों को भी अपने घर में ही रोजगार मिल सकेगा। उनकी आमदनी में इजाफा होगा। पेइंग गेस्ट के लिए जारी लाइसेंस की वैधता तीन साल की होगी। इस सुविधा के तहत कम से कम दो और अधिकतम पांच कमरे का पंजीकरण कराया जा सकता है। लाइसेंस प्राप्त लोगों को पर्यटन विभाग विशेष प्रशिक्षण भी दे रहा है।  इस योजना की सबसे अहम बात यह है कि इसमें किसी प्रकार का कोई वार्षिक शुल्क या कर देने की बाध्यता भी नहीं है। पेइंग गेस्ट की सुविधा देने का किराया भी मकान मालिक ही तय करेगा। इसमें पर्यटन विभाग को किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

ग्रीन कॉरिडोर विकसित करने से लेकर प्रयागराज को आध्यात्मिकता के रंग में रंगने का काम यूं तो वर्ष 2019 के कुंभ से ही आरंभ हो गया था। शहर की दीवारों को चित्रित करने का काम बड़ी तादाद में कलाकारों ने किया है। 2024 में प्रयागराज के महत्व को बयां करने वाले इस तरह के चित्र कदम-कदम पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करेंगे। रेलवे स्टेशन, बस अड्डे या हवाई अड्डे पर उतरते ही मार्ग में पड़ने वाली दीवारें उनके मन पर महाकुंभ की विलक्षणता की छाप छोड़ती नजर आएंगी।

वर्ष 2019 में आयोजित कुंभ की तरह इस बार भी सरकार का विशेष जोर महाकुंभ में स्वच्छता पर है। इस निमित्त वह लोगों को सामुदायिक शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रेरित भी कर रही है। सरकार की योजना है कि दिसंबर 2024 तक मेला क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक शौचालय बन कर तैयार हो जाएं। इसके साथ ही जेट स्प्रे क्लीनिंग सिस्टम भी स्थापित किया जा रहा है। इन सभी शौचालयों में साफ-सफाई और सुरक्षा की निगरानी भी की जाएगी। इसके लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतने व्यापक स्तर पर शौचालय और मूत्रालय स्थापित करने के लिए अब तक कुल 55 वेंडर्स को पैनल में शामिल किया जा चुका है। मेला क्षेत्र में सोक पिट वाले 49,000 शौचालय और सेप्टिक टैंक वाले 12 हजार एफआरपी शौचालय स्थापित किए गए हैं। यही नहीं, 10 सीटर वाले 350 मोबाइल शौचालय भी मेला क्षेत्र में उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है।

शौचालयों की निगरानी का दायित्व 1500 गंगा सेवा दूतों को सौंपा जाना है। ये दूत सुबह-शाम एक-एक शौचालय की जांच करेंगे। आईसीटी ऐप से प्रत्येक शौचालय पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करेंगे और उस ऐप में दिए गए सवालों के जवाब ‘हां’ या ‘ना’ में देंगे। इन सवालों में शौचालय साफ है या नहीं, शौचालय का दरवाजा टूटा तो नहीं है, पर्याप्त पानी की मात्रा है या नहीं, जैसे सवाल होंगे। इन सवालों का जवाब देकर फार्म जमा करते ही यह कंट्रोल रूम पर पहुंच जाएगा। जिन शौचालयों में सफाई मानक के अनुरूप नहीं होगी, उनका विवरण संबंधित वेंडर के पास चला जाएगा और फिर चंद मिनटों में वेंडर द्वारा शौचालय की सफाई कराई जाएगी।

महाकुंभ में स्नान के दौरान लोगों की सुरक्षा के लिए पहली बार 25 जेट स्की तैनात किए जा रहे हैं। ये हाईटेक जेट स्की पलक झपकते ही पानी में कहीं भी पहुंचने में सक्षम होंगे। इसे जल पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक चाक चौबंद किए जाने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इन जेट स्की  की विशेषता यह है कि ये 70 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से जरूरतमंद तक तत्काल पहुंच जाएंगे।

प्रयागराज महाकुंभ के बहाने जैव विविधता के संरक्षण और इस निमित्त लोगों को जागरूक करने पर भी सरकार का विशेष फोकस है। महाकुंभ में एक और दो फरवरी 2025 को बर्ड फेस्टिवल आयोजित करने की दिशा में वन विभाग विशेष रणनीति बना रहा है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रकृति व वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति युवाओं में जागरूकता पैदा करना, ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना और प्रदेश के जैव विविधता से भरपूर वन्यजीव अभयारण्यों की जानकारी से लोगों को अवगत कराना है। वन विभाग की इस पहल का लाभ पर्यटन विभाग को मिल सकता है और भविष्य में  इस जानकारी के आधार पर वह प्रदेश के जंगल, ऐतिहासिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थलों का एक सर्किट भी बना सकता है। पक्षी महोत्सव में पक्षी विज्ञान, प्रकृति संरक्षण और वन्यजीव पर्यटन और फोटोग्राफी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए इसमें फोटो प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है।

महाकुंभ को देखते हुए जहां परिवहन विभाग ने अपने बस बेड़े को और मजबूत किया है, वहीं रेल महकमे ने भी विशेष व्यस्था कर रखी है। स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ाने के साथ ही स्टेशन पर यात्रियों को भाषागत परेशानी न हो, इसलिए प्रयागराज स्टेशन पर देश के अनेक भाषाओं के उद्घोषकों की व्यवस्था की जा रही है।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए सरकार की योजना प्रयागराज के समग्र कायाकल्प की है। इस निमित्त अक्षयवट कॉरिडोर के सुंदरीकरण योजना को अमली जामा पहनाया जा रहा है। हालांकि अक्षय वट का दर्शन आम जन के लिए वर्ष 2018 में ही खोल दिया गया था। इसके अतिरिक्त सरस्वती कूप कॉरिडोर, पातालपुरी कॉरिडोर, भारद्वाज कॉरिडोर, मनकामेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकसित किए जा रहे है। इसके अलावा द्वादश माधव मंदिर, पढिला महादेव मंदिर, नागवासुकि मंदिर और हनुमान मंदिर कॉरिडोर बनाकर सरकार की योजना प्रयागराज आध्यात्मिक, सांस्कृतिक ही नहीं, भौतिक विकास से भी जोड़ना है। अलोपशंकरी मंदिर और प्रयागराज के अन्य नौ प्रमुख मंदिरों का कायाकल्प को शहर के सांस्कृतिक अभ्युदय से जोड़कर देखा जा रहा है

सरकार ने महाकुंभ के लिए इस वर्ष 6382 करोड़ का बजट रखा है। जबकि वर्ष 2012 में महाकुंभ का बजट 1152 करोड़ था। सरकार श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को लेकर जहां बेहद गंभीर है। इसके लिए 9.15 करोड़ की लागत से कुंभ मेला क्षेत्र में नेत्र कुंभ चिकित्सालय की स्थापना कर रही है। यहां की स्वास्थ्य परियोजनाओं पर 125 करोड़ रुपये का परिव्यय सरकार कर रही है। शहर के अस्पतालों और मेला मार्ग में स्थित प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपडेट किया जा रहा है। प्रयागराज में 43 अस्थायी अस्पतालों की व्यवस्था और 4 अस्पतालों में 305 बेड रिजर्व किए जा रहे हैं। मोतीलाल नेहरू अस्पताल, सप्रू हॉस्पिटल, राजकीय क्षय रोग चिकित्सालय, डफरिन हॉस्पिटल के लिए 28 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

शहर के विभिन्न पार्कों यथा शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क, खुसरो बाग, हाईकोर्ट, सर्किट हाउस, राजस्व परिषद के लिए क्रमश: 276.89 लाख, 59.09 लाख, 44.18 लाख और 33.13 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। शहर के ऐतिहासिक महत्व के पार्कों के सुंदरीकरण कर अपनी विरासत के संरक्षण पर जोर दिया गया है। शहर के प्रमुख पार्कों में बोलार्ड लाइट, एलईडी स्टिंग लाइट,  सोलर डेकोरेटिव लाइट और एलईडी रोप लाइट लगाई जा रही है।

 ( युगवार्ता से साभार )

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