को कहि सकई प्रयाग प्रभाऊ
प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक समागम महाकुंभ-2025 के लिए केंद्र सरकार ने 2100 करोड़ का बड़ा उपह»
प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक समागम महाकुंभ-2025 के लिए केंद्र सरकार ने 2100 करोड़ का बड़ा उपह»
भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने में संत समाज की भूमिका अग्रणी रही है। उन्होंने न सिर्फ जनजागरण जैसा अति महत्वपूर्»
कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसमें लाखों-करोड़ों तीर्थयात्री पवित्र नदियों में स्नान के लिए आते हैं»
कुंभ हमारी एकता के प्रतीक हैं। भारतीय धर्म, रहन-सहन, विचारधारा एवं आध्यात्मिकता के जीवंत प्रमाण हैं। इनमें उपस्थिति होना»
हिंदू समाज के पर्व उत्सवों आदि के पीछे ठोस वैज्ञानिक आधार होता है। युगों-युगों से समाज को अनुप्रमाणित कर रहे कुंभ पर्व क»
महाकुंभ पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, अपितु सारी सृष्टि व जीवन के संरक्षण एवं संवर्धन के वे आदर्श प्रतिमान हैं, जो»
हमारे ऋषि गणों ने आधुनिक विश्व के कथित वैज्ञानिक ज्ञान से हजारों वर्ष पूर्व बृहस्पति की गति के आधार पर सुनिश्चित कर अपने»
जहां की रज के कण-कण को स्वयं देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है, जहां गंगा-यमुना एवं सरस्वती की पवित्र त्रिवेणी हर किसी के ल»
भारत की शक्ति उसका अध्यात्म है। प्रगाढ़ आध्यात्मिकता के कारण ही भारत की सभ्यता एवं संस्कृति अनेक हमलों के बाद भी नष्ट नही»
हिंदू धर्म वर्तमानजीवी धर्म है। यह सत्य और ऋत का वह गठबंधन है, जो अतीत से जुड़ने का अर्थ वर्तमान की संभावना के विस्तार से»
पंडित दीनदयाल उपाध्याय आधुनिक भारत के विरले राजनीतिज्ञ हैं, जिनके विचारों पर अकादमिक दुनिया में विधिवत विमर्ष प्रारंभ हु»
अखाड़े कुंभ परंपरा के अभिन्न अंग हैं, जिनके बगैर इस विराट समागम की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अखाड़ा शब्द संस्कृत के अखण्ड»
पूर्ण: कुंभोऽधि काल आहितस्तं वै पश्यामो बहुधा नु सन्त:। स इमा विश्वा भुवनानि प्रत्यड्कालं तमाहु: परमे व्योमन॥ (अथर्ववेद»
अनादि काल से हमारा देश आध्यात्म प्रधान देश है। यहां घटित होने वाली प्रत्येक घटना की स्मृति में जो आध्यात्मिक अनुष्ठान पु»
भारतीय संस्कृति और परंपरा में कुंभ मेले का विशेष महत्व है। साल 2025 में महाकुंभ 13 जनवरी, 2025 से आरंभ हो रहा है और 26 फ»
दुनिया का सबसे बड़ा और तकरीबन डेढ़ माह तक चलने वाला धार्मिक समागम की तैयारियां लगभग पूरी हो गई है। तैयारियों में कोई कमी न»
हर समय का एक युगधर्म होता है। आज का युगधर्म क्या है? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत सतत अपने व्»
किशोर कुणाल जी अब हम सबके बीच नहीं हैं, लेकिन समाज जीवन नें उनकी भूमिका हमसब की यादों में है। रामलला सरकार के मंदिर में»
92 वर्षीय मनमोहन सिंह को गुरुवार की शाम घर पर “अचानक बेहोश” होने के बाद गंभीर हालत में एम्स के आपातकालीन विभ»