प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक समागम महाकुंभ-2025 के लिए केंद्र सरकार ने 2100 करोड़ का बड़ा उपहार दिया है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पहले ही 5435.68 करोड़ रुपये भव्य, दिव्य के साथ डिजिटल महाकुंभ के आयोजन पर खर्च कर चुकी है।
ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी। तीर्थानामुत्तमं तीर्थे प्रयागाख्यमनुत्तमम। जैसे ग्रहों में सूर्य तथा नक्षत्रों में चन्द्रमा हैं, वैसे ही तीर्थों में प्रयाग सर्वोत्तम है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वेद-पुराणों के इस कथन को सत्य करके परिपूरित कर दिया है। समग्र तीर्थक्षेत्र भव्य-दिव्य और नव्य महाकुंभ के लिये अपने श्रद्धालुओं की बाट निहार रहा है। जिसके कण-कण में नीहारिका अपने धवल वस्त्रों के साथ कल-कल बहती हुई गंगा और उसमें समाहित यमुना एवं अदृश्य सरस्वती की विलीन धारा को श्वेत नील वर्णी आभा से युक्त कर रही है। जो अविरल बहती हुई अपने माहात्म्य का अवलोक स्वयं करती है। तभी गोस्वामी जी ने प्रयाग की महिमा को सुस्वर कहा-
छेत्रु अगम गढ़ु गाढ़ सुहावा। सपनेहुँ नहिं प्रतिपच्छिन्ह पावा।
सेन सकल तीरथ बर बीरा। कलुष अनीक दलन रनधीरा।।
प्रयाग क्षेत्र ही दुर्गम, मजबूत और सुंदर गढ़ (किला) है, जिसको स्वप्न में भी (पापरूपी) शत्रु नहीं पा सके हैं। संपूर्ण तीर्थ ही उसके श्रेष्ठ वीर सैनिक हैं, जो पाप की सेना को कुचल डालने वाले और बड़े रणधीर हैं।
संगमु सिंहासनु सुठि सोहा। छत्रु अखयबटु मुनि मनु मोहा।
चवँर जमुन अरु गंग तरंगा। देखि होहिं दुख दारिद भंगा।।
(गंगा, यमुना और सरस्वती का) संगम ही उसका अत्यंत सुशोभित सिंहासन है। अक्षयवट छत्र है, जो मुनियों के भी मन को मोहित कर लेता है। यमुना और गंगा की तरंगें उसके (श्याम और श्वेत) चंवर हैं, जिनको देखकर ही दु:ख और दरिद्रता नष्ट हो जाती है।
प्रयाग वह है जहां का पग-पग पवित्र है। जहां पग-पग पर पुण्य क्षेत्र है। प्रयाग में स्थित सात तीर्थ नायक भी हैं, जो अपने कायाकल्प के साथ धवल युक्त हो गये हैं। त्रिवेणी का त्रिकाल प्रभाव, वेणी माधव की महिमा, सोमेश्वर के आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि, नागराज वासुकि का विशेष स्थान, अक्षय वट की अमरता और शेष की अशेष कृपा को हरा-भरा करके श्वेत धवल बनाकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पुराणों के तथ्य को साकार करते हुए तीर्थराज प्रयाग को सुसज्जित कर दिया है।
प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक समागम महाकुंभ-2025 के लिए केंद्र सरकार ने 2100 करोड़ का बड़ा उपहार दिया ही है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार पहले ही 5435.68 करोड़ रुपये भव्य, दिव्य और डिजिटल महाकुंभ के आयोजन पर खर्च कर चुकी है। सरकार द्वारा महाकुंभ के लिए 421 परियोजनाओं पर यह धनराशि खर्च की गई है। इसमें लोक निर्माण विभाग, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, सेतु निगम, पर्यटन विभाग, सिंचाई, नगर निगम प्रयागराज, द्वारा 125 परियोजनाओं को क्रियान्वित किया गया है। अनगनित तैयारियों के बीच योगी सरकार ने संगम तट की शोभा और प्रयागराज के कोतवाल बड़े हनुमान मंदिर के जीर्णोद्धार पर विशेष ध्यान दिया है। मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ ही कॉरिडोर का निर्माण भी किया गया है जिससे वहां का सौंदर्य अगुणित बढ़ गया है।
महाकुंभ 2025 में खर्चा
142 साल पहले साल 1882 में महाकुंभ के आयोजन में महज 20.2 हजार रुपये खर्च हुए थे। लेकिन 2025 के लिये 7500 करोड़ रुपए व्यय हो रहे हैं। यह अब तक के सबसे बड़े महाकुंभ को लेकर तैयारी का आंकड़ा है। 1882 में मौनी अमावस्या पर 8 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। उस वक्त भारत की आबादी 22.5 करोड़ थी। इस आयोजन पर 20,288 रुपये खर्च हुए थे। आज की तुलना में तकरीबन 3.65 करोड़ रुपए होता है। 1906 के कुंभ में करीब 25 लाख लोग शामिल थे और उस पर 90,000 रुपये (इस वक्त के हिसाब से 13.5 करोड़) खर्च हुए थे। तब देश की आबादी 24 करोड़ थी। 1918 के महाकुंभ में 30 लाख लोगों ने डुबकी लगाई थी, उस समय आबादी 25.20 करोड़ थी। खर्च 1.37 लाख रुपये हुए थे, आज के हिसाब से 16.44 करोड़ रुपए खर्च हुआ था।
महाकुंभ 2025 के लिय प्रदेश सरकार ने अवसंरचनात्मक सुविधायें, रेलवे ओवरब्रिज, रेलवे अण्डरब्रिज, सड़कों का सुदृढ़ीकरण एवं चौड़ीकरण का कार्य, नदी के किनारे कटाव निरोधक कार्य सहित इंरलॉकिंग सड़क मार्ग, रिवर फ्रंट का निर्माण, स्मार्ट सिटी एवं प्रयागराज विकास प्राधिकरण के समन्वय से प्रयागराज को सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया है। प्रयागराज के समस्त चौराहों का थीम बेस्ड सौन्दर्यीकरण, आईटी बेस्ड मॉनिटरिंग इत्यादि कार्य एवं श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है। स्थान-स्थान पर स्वच्छ जल के लिए स्टैण्ड बनाये गये हैं। स्वच्छ भारत मिशन एवं नगर निगम, प्रयागराज के साथ मिलकर शहर की साफ-सफाई एवं स्वच्छता के लिए उच्च कोटि की व्यवस्था की है। सॉलिड वेस्ट प्रबंधन एवं शहर को 100 प्रतिशत सीवरेज ट्रीटमेंट से आच्छादित किया गया है।
महाकुंभ 2025 के अन्तर्गत विभिन्न अभिनव प्रयोग भी योगी सरकार द्वारा किये गये हैं। जिसमें डिजीटल कुंभ म्यूजियम का निर्माण एवं पर्यटन रूट सर्किट (प्रयागराज-अयोध्या-वाराणसी-विन्ध्यांचल-चित्रकूट) का निर्माण शामिल हैं। श्रद्धालुओं, पर्यटकों एवं दर्शनार्थियों के आवागमन एवं पुण्य स्नान किये जाने की अत्युत्तम व्यवस्था है। महाकुंभ को दिव्य महाकुंभ, भव्य महाकुंभ के साथ-साथ स्वच्छ महाकुंभ, सुरक्षित महाकुंभ, सुगम महाकुंभ, डिजिटल महाकुंभ, ग्रीन महाकुंभ की अवधारणा के रूप में विकसित किया गया है। इसीलिए स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि, प्रयागराज 2025 महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा आयोजन बनेगा। जो ज्यादा विराट और भव्य होगा।
सनातन आस्था के इस सबसे बड़े समागम में केवल चंद दिन शेष हैं। 13 जनवरी से महाकुंभ आरंभ हो जायेगा और प्रथम दिवस से ही अपने विराट स्वरूप को प्राप्त कर लेगा। महाकुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण अखाड़ों की स्थापना का कार्य भी पूर्णता की ओर है और अखाड़ों का छावनी प्रवेश भी हो गया है। समस्त अखाड़ों, उनके अनुगामी अखाड़ों के साथ महामंडलेश्वर, खालसा, दंडीवाड़ा, आचार्यवाड़ा, खाकचौक का भूमि आवंटन हो गया है। प्रयागवाल और नई संस्थाओं को भूमि आवंटन भी किया गया है। 4268 संस्थाओं को भूमि आवंटित की गई है। इसमें अखाड़ों और उनके अनुगामी अखाड़ों को 19, महामंडलेश्वर को 460, खालसा को 750, दंडीवाड़ा को 203, आचार्यवाड़ा को 300, खाकचौक को 300 और अन्य को 1766 भूमि दिया जा चुका है। नई संस्थाओं को भूमि आवंटन भी किया गया है। 5 जनवरी तक लगभग महाकुंभ में 8 हजार से 10 हजार के बीच संस्थाओं का शिविर लग जायेगा। 20,000 से अधिक संतों, संगठनों और संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन महाकुंभ के लिये किया गया हैं।
महाकुंभ के लिए प्रयागराज में बुनियादी ढांचे का बड़े पैमाने पर विकास किया गया है। इस बार स्थायी और अस्थायी मिलाकर कुल 30 पुल बने हैं, जिनमें से सभी तैयार हो चुके हैं। 651 किमी सड़क का निर्माण किया गया है। 24 घ्ांटे बिजली सुनिश्चित करने के लिए 85 बड़े सब-स्टेशनों में से 77 तैयार हैं।
कुल मिलाकर जो योजना है उसके अनुसार, श्रद्धालुओं को पीक डेज में एक से 5 किलोमीटर और सामान्य दिनों में एक किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा नहीं करनी होगी। महाकुंभ के दौरान सर्वाधिक श्रद्धालु सड़क मार्ग से प्रयागराज पहुंचेंगे। प्रशासन की ओर से शहर के सभी दिशाओं में पार्किंग की व्यवस्था है। आस्था की डुबकी लगाने वाले जिस रास्ते से जाएंगे, उस रास्ते से वापस नहीं लौटेंगे। उन्हें दूसरे रास्ते से होकर जाना होगा, ताकि कहीं भी श्रद्धालु आमने-सामने नहीं आ सकेंगे। इससे जाम की स्थिति नहीं बन सकेगी। प्रमुख स्नान पर सबसे अधिक श्रद्धालुओं के स्नान, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग, मेले की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग सहित अन्य नवाचार को अपना कर सरकार नया रिकॉर्ड भी दर्ज कराना चाहती है। जिससे इस बार का महाकुंभ डिजिटल प्लेटफार्म में छा रहा है।
महाकुंभ को दिव्य महाकुंभ, भव्य महाकुंभ के साथ-साथ स्वच्छ महाकुंभ, सुरक्षित महाकुंभ, सुगम महाकुंभ, डिजिटल महाकुंभ, ग्रीन महाकुंभ की अवधारणा के रूप में विकसित किया गया है।
(युगवार्ता से साभार)